🌶️ नाथपंथ न्यूज़: रुपया फिर गिरा… और देश में लगी मिर्च-मसाला चौक की घंटी!
— नाथपंथी जी की चटपटी व्यंग्य रिपोर्ट
भारत का रुपया आज फिर डॉलर के सामने ऐसे फिसला जैसे गर्मी में चाट वाले के हाथ से आलू टिक्की फिसलकर सीधे नाली में गिर जाए। और जैसे ही रुपया गिरा — पूरे देश के मिर्च-मसाला चौक, तड़का गली और झणाझण न्यूज़ मंडी में बवाल मच गया।
🌶️ अंधभक्त मंडली की प्रतिक्रिया — “ये सब वैश्विक षड्यंत्र है!”
पहला भक्त बोला:
“रुपया नहीं गिरा, डॉलर ज्यादा उठ गया है!”
दूसरा भक्त:
“56 इंच का card जारी करो—डॉलर डरकर नीचे आएगा!”
तीसरा भक्त (सबसे वरिष्ठ):
“अगर रुपया गिरा भी है तो क्या हुआ? राष्ट्रवाद भी कभी-कभी झुक जाता है।”
वाट्सऐप यूनिवर्सिटी ने तुरंत फॉरवर्ड भेजा:
“रुपया इसलिए गिरा क्योंकि भारत बहुत संस्कारी देश है—दूसरों को ऊपर उठता देख खुश होता है।”
🍳 राजनेताओं का तड़का — सब अपनी-अपनी कड़ाही गरम कर रहे हैं
विपक्ष:
“रुपया सरकार के वादों की तरह है — बोलता कुछ और है, टिकता कहीं और है!”
सत्ता पक्ष:
“रुपया गिरा नहीं है, योग निद्रा में है। ध्यान कर रहा है!”
तीसरी पार्टी:
“जब तक मुझे मंत्री नहीं बनाओगे, रुपया ऐसे ही गिरेगा!”
🌶️ मिर्च-मसाला चौक — जहाँ हर खबर पर तड़का FREE में मिलता है
पान वाला बोला:
“रुपया गिरा है? अच्छा है… कम से कम कोई तो गिरा है!”
चाय वाला (घोषित अर्थशास्त्री):
“रुपया वही कर रहा है जो चुनाव के वादे करते हैं—गायब!”
समोसा काका:
“डॉलर गरमा-गरम समोसा है—हमेशा ऊपर!
रुपया वो चटनी… जो हमेशा नीचे टपकती है।”
💥 जनता का दर्द — महंगाई ने कड़क झटका दिया
एक आदमी ने मटर के दाम सुनकर पूछा:
“ये मटर है या IIT की फीस?”
आंटी बोलीं:
“हमारी किस्मत तो पहले ही फ्रिज के पीछे गिर चुकी है!”
🔥 नाथपंथी जी का अंतिम तड़का
“देश में रुपया गिर रहा है, उम्मीदें गिर रही हैं… लेकिन भाषण और वादे हमेशा ऊपर-ही-ऊपर जा रहे हैं!”
डॉलर बोला: “मैं अभी व्यस्त हूँ… ऊपर जा रहा हूँ।”
सरकार बोली: “सब नियंत्रण में है।”
जनता बोली: “हम नीचे ही ठीक हैं… अब रुपया भी यहीं आ गया है।”
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