साहब की मालदीवी मोहब्बत: ढोल, धोखा और 4,850 करोड़ का प्रेमपत्र!
भाइयो और बहनों,
देश में एक बार फिर "साहब" का दिल पसीज गया। इस बार समंदर के पार, नारियल के पेड़ों के बीच, जहां सूरज डूबते-डूबते झूठ की लाली छोड़ जाता है — मालदीव!
जिस मालदीव को पिछले साल साहब ने आंखें दिखाईं थीं, जहां की रेत को देशभक्ति के नाम पर "गद्दार" कह दिया गया था, और जिसकी यात्रा पर जाने वालों को भक्तगणों ने ट्रोल की कालकोठरी में कैद कर दिया था... आज उसी मालदीव को 4,850 करोड़ रुपये का लव लेटर दे डाला गया।
हां, सही पढ़ा आपने — साढ़े चार हज़ार करोड़! यानी हर देशवासी की जेब से चुपके से निकला गया प्रेम-कर, जो गया मालदीव की सड़कों और मकानों में घुलने।
और ढोल बिटिया कहां थे?
अरे, जो पिछली बार ट्विटर पर “Boycott Maldives” के नगाड़े पीट रहे थे, जो साहब के फोटोशूट्स के पीछे नारियल की जड़ें तक खंगाल लाए थे — वही ढोल बिटिया अब या तो मौन व्रत में हैं या पन्ना प्रभारी की तरह पोस्टर चिपका रहे हैं।
अरे भैया, पिछले साल तो कहा गया था कि मालदीव हमारे देश का अपमान कर रहा है। और अब उसी को हम विकास की गोदी में झुला रहे हैं?
मीडिया महाराज?
जो TRP की थाली में "मालदीव के खिलाफ़ तूफान" परोस रहे थे, जिनके एंकर चीख-चीख कर बोलते थे कि "भारत का अपमान सहन नहीं", अब वही चैनल आज साहब की हवाई यात्रा को राजनयिक चमत्कार बता रहे हैं।
#BreakingNews – साहब ने विश्व को दिखाया नेतृत्व का कमाल, मालदीव को गले लगाया!
नाथ बोले:
भाई, ये कोई कूटनीति नहीं, ये “कूटकर नीति बनाना” है। जनता को पहले भावनाओं में उबालो, फिर उसी चूल्हे पर दोस्ती की चाय चढ़ा दो।
क्या हुआ बहिष्कार का?
मालदीव घूमने वालों को देशद्रोही कहने वाले अब वही जगह “स्ट्रैटजिक एलाइंस” बता रहे हैं। तब ट्रोल करने वाला आईटी सेल अब सरकारी घोषणाएं रीट्वीट कर रहा है। क्या राजनीति अब कन्फ्यूज़न का नाम है? या फिर ये पब्लिक सब जानती है?
अंत में
साहब ने सिखा दिया — राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता, बस जनता की याद्दाश्त थोड़ी कमज़ोर होनी चाहिए।
4,850 करोड़ में सिर्फ़ सड़कें नहीं बनीं, एक बार फिर बनी ‘गुलाम सोच’ की ईमारत।
Comments
Post a Comment