झारखंड की आत्मा को श्रद्धांजलि:
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक, शिबू सोरेन जी के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर है। "गुरुजी" के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज के हक़ और अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनका जाना सिर्फ एक नेता की विदाई नहीं, बल्कि एक युग का अंत है।
🌿 प्रारंभिक जीवन और संघर्ष
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के दुमका ज़िले के नेमरा गांव में हुआ था। बचपन में ही उनके पिता की हत्या जमींदारों द्वारा कर दी गई थी, जिसने उनके अंदर अन्याय के विरुद्ध आग भर दी।
✊ आदिवासी अधिकारों की लड़ाई
1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और ज़मीन हड़पने वालों, उद्योगपतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआंदोलन छेड़ दिया।
🏛️ राजनीतिक जीवन
- 1980 में पहली बार लोकसभा पहुंचे।
- 2005, 2008 और 2009 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
- यूपीए सरकार में कोयला मंत्री भी रहे।
🕊️ विवाद और आलोचना
2004 में एक हत्या के केस में आरोपी बनने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन बाद में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
🌱 झारखंड निर्माण में योगदान
15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ, और इसमें शिबू सोरेन की भूमिका ऐतिहासिक रही। उन्होंने इसे "आदिवासी अस्मिता की जीत" कहा।
💔 निधन और देश की प्रतिक्रिया
2025 में उनके निधन की खबर के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जन तक शोक की लहर दौड़ गई। उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जा रही है।
🙏 श्रद्धांजलि
शिबू सोरेन सिर्फ नेता नहीं थे, एक विचारधारा थे। उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज डरने के लिए नहीं, लड़ने और जीतने के लिए बना है। उनकी विचारधारा और संघर्ष की प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों को मार्ग दिखाती रहेगी।
- विकास किरण न्यूज़ युनुस खान
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