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ट्रंप की टैरिफ नीति: दोस्ती महंगी, दुश्मनी सस्ती!

ट्रंप का टैक्सीला फार्मूला: "रूस से दोस्ती? तो भुगतो पेनल्टी!"

✍️ युनुस खान जी की कलम से

एक अगस्त से अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ़ लगा दिया है। वजह? भारत ने रूस से तेल और हथियार क्यों खरीदे!

अब अगर ये तर्क है, तो कल को ट्रंप ये भी कह सकते हैं कि भारत ने दही भल्ला पाकिस्तान से लिया तो उस पर भी एक्स्ट्रा टैक्स और पेनाल्टी दो।

🎯 ट्रंप की टैरिफ नीति: दोस्ती महंगी, दुश्मनी सस्ती!

ट्रंप साहब बोले —

"भारत रूस से खरीदारी करता है, जिससे रूस यूक्रेन पर हमला जारी रखता है।"

🌍 भारत का तेल व्यापार: पेट्रोल में मिलावट नहीं, चालाकी है!

भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता है, फिर उसे नायरा और रिलायंस की रिफाइनरियों में शुद्ध करके यूरोपियन देशों को बेच देता है — वो भी उनकी लागत से सस्ता।

अब यूरोप बोले — "तुम रूस से खरीद कर हमें बेच रहे हो? ये तो पेट्रोल नहीं, पेट्रोल-पॉलिटिक्स है!"

नायरा में रूस की 49% हिस्सेदारी होने के कारण यूरोप ने इन दोनों कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा भी कर दी है।

यानी ट्रंप को गुस्सा रूस से नहीं, भारत की समझदारी से है — क्योंकि हम तेल में व्यापार और बुद्धि दोनों मिला रहे हैं।

💰 25% टैरिफ़ + पेनल्टी: ये दोस्ती नहीं, व्यापार है

कहते हैं कि दोस्ती में कोई हिसाब नहीं होता — लेकिन ट्रंप की दोस्ती में इन्वॉइस आता है।

भारत पर 25% टैरिफ़ ही नहीं, बल्कि अतिरिक्त आयात शुल्क भी लगाया गया है — क्योंकि हमने युद्धरत रूस से तेल खरीदा।

शायद अगली बार ट्रंप पूछेंगे — "तुमने रूस से मौसम क्यों लिया? वहां का सूरज क्यों इस्तेमाल किया?"

🤝 डेडलाइन-ड्रामा: डील नहीं तो डंडा!

ट्रंप ने भारत को महीनों से ट्रेड डील करने का मौका दिया था।

"डील करो वरना ड्यूटी झेलो" — यही नीति थी।

लेकिन भारत सोचता रहा, बातचीत चलती रही, मौका कब मौका बन गया, पता ही नहीं चला।

ट्रंप साहब ने दो दिन पहले ही कह दिया — "1 अगस्त से टैरिफ़ लागू। देर से आए, अब भुगतो!"

📦 अब क्या होगा?

अब भारत से जो भी माल अमेरिका जाएगा — उस पर 25% टैरिफ़ चढ़ जाएगा,

यानि भारतीय कपड़ा, मसाले, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा सब कुछ अमेरिका में महंगे हो जाएंगे।

और भारत को?

  • 📉 एक्सपोर्ट में गिरावट
  • 😠 व्यापारी वर्ग में नाराज़गी
  • 🤷 आम जनता: "ये तो विदेशी झटका है!"

🔚 नाथपंथी जी का निष्कर्ष:

"जब वैश्विक दोस्त ऐसे हों, तो दुश्मनों की जरूरत नहीं।"
ट्रंप की टैक्स पॉलिसी ये नहीं देखती कि दोस्त कौन है — वो बस ये देखती है कि डॉलर कहाँ से आ सकता है।

🔜 अगली किस्त में पढ़िए:
🛢️ "रूस से तेल लेना है या ट्रंप की पेनल्टी?"
🤝 "मोदी-ट्रंप व्यापार संवाद: डील या डंडा?"

🕵️‍♂️ रिपोर्टर: युनुस खान "गुप्तचर"

📍 लोकेशन: दिल्ली की गलियों से लेकर सियासत की हवाओं तक!

हर खबर में मसाला, हर लाइन में सस्पेंस – यही है विकास किरण!

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