🧪 भोपाल की ड्रग मछली: नशा, नेतागिरी और नेताजी का नातेदार
भोपाल की फिज़ाओं में आजकल महक कुछ अजीब सी है —
गुलमोहर नहीं, गांजा,
शरबत नहीं, शराब
और राजनीति नहीं, रसायनिक रैकेटिंग की बू उठ रही है।
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता शरीफ उर्फ़ शफीक मछली साहब के घर से कोई मछली पकड़ाई नहीं — सीधा “MD ड्रग्स” का पूरा जाल पकड़ा गया!
और पकड़ाए कौन?
भाई और भतीजे — शाहवर मछली और यासीन।
🧠 पहला झटका:
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की 'डोज़ेड' छवि
अभी कुछ ही दिन पहले तक जो मोहतरम बड़े नेताओं के साथ तस्वीरों में चाय की चुस्कियों में दिखते थे — आज वही नेता साहब क्राइम ब्रांच की कैद में चुप्पियों की चुस्कियां ले रहे हैं।
यासीन ने क्या किया?
लड़की को नशे में फंसाया, फिर शोषण किया।
और वो भी किसी गली के लौंडे ने नहीं —
एक नेता के घर का सगा खून।
🔥 दूसरा घोटाला:
संबंधों की ‘स्मार्ट’ सफाई मशीन
शफीक मछली भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा में सक्रिय। मंत्री विश्वास सारंग और बीडी शर्मा जैसे नेताओं के साथ अच्छे संबंधों की तस्वीरें इंटरनेट पर फैली हैं।
पर जैसे ही ड्रग्स की बात आई,
पार्टी ने ‘स्वच्छ भारत’ की तरह झाड़ू चलाई और कहा —
“हमें कोई लेना-देना नहीं!”
वाह री राजनीति!
जब वोट चाहिए हो, तो गले लगाओ —
जब पकड़े जाएं, तो कह दो —
“ये तो हमारे रिश्तेदार हैं ही नहीं।”
🐍 नाथपंथी चुटकी:
राजनीति का नया रसायनशास्त्र यही कहता है —
“गुनाह अगर गरीब करे तो अपराध,
नेता का बंदा करे तो ‘ग़लती’।”
🤐 तीसरा छौंक:
मौन मंत्रियों की मूक मोरचाबंदी
विश्वास सारंग जी मौन हैं,
बीडी शर्मा जी ग़ायब हैं,
और शफीक मछली जी की बोलती बंद है।
नाथ पूछता है:
“क्या मुँह में ड्रग्स भर लिया है क्या, जो बोल नहीं पा रहे हो?”
💥 नाथ का निष्कर्ष:
राजनीति में अब नैतिकता नहीं, नेटवर्क मायने रखता है। बंदे कैसे भी हों — अगर कनेक्शन ठीक हो तो मंत्रालय तक का रास्ता साफ। वरना पकड़ में आए तो कह दो — “हमें तो पता ही नहीं था, ये क्या कर रहे थे!”
📸 सोशल कैप्शन:
“भोपाल में पकड़ा ड्रग रैकेट,
पर नेताओं ने पकड़ लिया मौन व्रत।”
“मछली के साथ पकड़ा गया नशा —
और नेताओं ने फिर धो डाले हाथ।”
बोलिए — अब कौन सी परत छीलें? बड़े तालाब से आई बड़ी खबर तालाब की मछलियां धरने पर कहा मछली परिवार कांड में हमरा कोई हाथ नहीं । और शरीक के पीछे से मछली हटाया जाए इससे हमारे समाज का नाम खराब हो रहा है।
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