🐍 नाथपंथी जी का राष्ट्रवादी रडार: "पहलगाम में पटाखा फूटा या बयानबाज़ी की बारूद?" लेखक: युनुस खान जी तो भइया, जैसे ही संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की गरमागरम बहस शुरू होने को थी, वैसे ही एक अनुभवी राजनेता पी. चिदंबरम जी ने एक इंटरव्यू में अपने राजनीतिक गालों से कुछ बम फोड़े — और वो भी ऐसे कि पहलगाम का हमला पीछे छूट गया, बयानबाज़ी आगे निकल आई। “क्या वाकई पाकिस्तान से आए थे आतंकी?” “क्या कोई सबूत है?” “घरेलू आतंकी भी हो सकते हैं न?” मतलब साफ़ है — जैसे कोई घर में चोर घुस आए और दादी कहें, "हो सकता है हमारा ही बेटा नींद में उठकर सोने के जेवर पहन रहा हो।" भाईसाहब! इस बयान से बीजेपी वालों का ब्लड प्रेशर सीधा संसद की छत तक चढ़ गया। शहजाद पूनावाला बोले: “कांग्रेस को तो जैसे पाकिस्तान से मोहब्बत है और अपने ही देश पर शक।” अमित मालवीय बोले: “ये बयान नहीं, पाकिस्तान को ‘क्लीन चिट सर्टिफिकेट’ है!” अब ज़रा सोचिए, पाकिस्तान में मिठाइ...